मम्मी और भइया की चुदाई भाग 1
मम्मी और भइया काफी साथ साथ रहा करते थे। उनके बीच का प्यार देख कभी कभी मुझे लगता था की मम्मी मुझे प्यार करती। दोस्तों मेरा नाम मिंकाशी राजपूत है और मैं राजिस्थान की रहने वाली लड़की हूँ। मेरी उम्र 20 साल है और मेरा बड़ा भाई 26 साल का है जो मेरी antarvasna कहानी में एहम भूमिका निभा रहा है। साथ ही साथ मम्मी ने पापा से तलाक ले रखा है जिस कारण उनके कभी वो ख़ुशी नहीं मिली जो एक मर्द औरत को दे सकता है।
मेरी कहानी मम्मी और भइया की चुदाई की शुरुआत तब हुई जब मुझे अपने भाई और माँ के बीच का प्यार बढ़ता दिखने लगा। उनका आपस में प्यार से बात करना तक तो सब ठीक पर जब मैंने भइया के हाथो को मम्मी के शरीर पर देखा तो मैं समज गई की यहाँ कुछ और ही चल रहा है।
भइया बार बार मम्मी की कमर और हाथ लगते तो कभी कभी उनकी छाती पर गलती से हाथ लगा देने का ड्रामा करते। मम्मी भी उनकी हरकतों से खूब मजे लगती।
ये सब देख मुझे धीरे धीरे शर्म आने लगी की ये मैं क्या सोच रही हुई। क्या जो मैं सोच रही हूँ वो सब सही है ? अगर नहीं तो मुझे अपने आप पर शर्म करनी चाहिए।
अब धीरे धीरे मैंने उनपर नजर रखनी शुरू करदी और एक रात अचानक मम्मी के कमरे में झाकने लगी। अंदर देखा तो मुझे भइया के हाफने की आवाज आ रही थी और मम्मी के मुँह से अश्लील आवाजे निकल रही थी।
उसी वक्त मेरे भी शरीर पर रोंगटे खड़े हो गए। अपनी मम्मी और भइया की चुदाई देख मुझे जो धका लगा वो मैं बर्दाश नहीं कर पाई और डर के मारे वापस अपने कमरे में जाकर बिस्तर पर जाकर पड़ी रही।
उन्दोनो की तेज सासे और अश्लील आवाजे मेरे दिमाग में घूमे जा रही थी।
मैं चाह कर भी उस नजारे को अपने दिमाग से नहीं निकाल पा रही थी। काले अंधरे में भाई पता नहीं मम्मी को कैसे चोद रहे होंगे ये सोच सोच कर मेरी आँखों और चुत दोनों से पानी रिसने लगा।
अब अगली रात मैं फिरसे नीचे गई और इस बार मैं दोनों को रंगे हाथ पकड़ना चाहती थी। मैं धीरे धीरे आधी रात को नीचे गई तो दरवाजे के पास जाते ही मुझे जोरदार चुदाई की आवाज आने लगी। भाई माँ को इतनी जोर जोर से चोद रहे थे की पूरा बिस्तर हिल रहा था। साथ ही साथ इस बार कमरे में रौशनी भी थी।
उन्होंने खिड़की का पड़ा पूरा नहीं लगाया था जिस वजह से बाहर गली में जलने वाली लाइट की हल्की रौशनी अंदर आ रही थी। मैंने कमरे का दरवाजा हल्का सा खोला और कोने से देखा तो पता लगा भइया ने मम्मी को टांगे खोल कर लेता रखा था और ऊके मुँह पर उनकी ही चुनी बांध राखी थी।
टांगे खोल कर भाई उनकी जांघो के बीच जोर जोर से अपनी कमर मार रहे थे और मम्मी उनकी मर्दाना छाती को प्यार से छू रही थी। अब ये तो मुझे पता नहीं लगा भी भाई ने कंडोम लगाया था की नहीं पर जिस तरह से मम्मी को भाई चोद रहे थे उस से साफ पता लग रहा था की उन्हें इस काम में कोई शर्म नहीं आ रही।
मम्मी और भाई की आपस में चुदाई देख मैं भी शर्म से लाल हो गई। कुछ देर बार मेरी चुत भी गीली हो गई और मैंने उन्हें आँखे गड़ा कर देखना शुरू कर दिया।
मम्मी की छाती भइया बार बार चूसे जा रहे थे। वो 4 से 5 धके लगाने के बाद उनकी छाती को जोर से हाथो से जकड़ते और उनके खड़े निप्पलों पर जोरदार चूसे लगा कर वापस चुदाई शुरू कर देते।
इस बीच मम्मी भी आराम से लेटी हुई भाई का सरीर सहलाती। वो कभी उनकी गांड को अपने नाखुनो से नोचती तो कभी अपने थनो को धीरे धीरे दबाने लगती।
पहले तो मुझे काफी डर लगा पर जब चुत गीली हुई तो माँ बेटे की चुदाई का नजारा देख मुझे भी आनंद मिलने लगा।
अब दोस्तों मेरी Desi Sex Kahani के पहले भाग का यही अंत होता है उम्मीद है आपको माँ बेटे की चुदाई कहानी का पहला भाग पसंद आया होगा दूसरा भाग पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाए।
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